डॉग के खून से बनाई आंख की झिल्ली

प्रस्तुति – Pashu Patrika Team

जबलपुर की नानाजी देशमुख वेटरनरी यूनिवर्सिटी में वेटरनरी डॉक्टरों ने डॉग के खून से आंख की झिल्ली बना दी। अब इसकी मदद से डॉग के कॉर्नियल अल्सर का ऑपरेशन कर रहे हैं। कॉर्नियल अल्सर की वजह से कुत्तों को दिखना बंद हो जाता है। यहां के डॉक्टर 50 डॉग का सफल ऑपरेशन कर चुके हैं।

वेटरनरी डॉक्टर इससे पहले कुत्तों की आंख बंद कर ऑपरेशन करते थे। इस वजह से डॉग्स को अधिक परेशानी होती थी और ऑपरेशन की सफलता 100% सुनिश्चित नहीं थी। नई तकनीक काफी सफल मानी जा रही है।

क्या है नई तकनीक में

  • डॉग्स के ब्लड में रेड हिस्से को अलग करके उसमें जो कम्पोनेंट बचता है उसकी एक शीट तैयार की जाती है।
  • इस शीट को डॉग्स की आंख पर लगा कर ऑपरेशन कर दिया जाता है। सीट लगने के बाद डॉग्स की आंख बंद करने की जरूरत नहीं होती है।
  • इस तरह ऑपरेशन के बाद डॉग को 10 से 15 दिन बाद दिखने लगता है।
  • वेटरनरी के डॉक्टर 2019 से इस तकनीक पर काम कर रहे थे।
  • पुरानी तकनीक में डॉग्स की आंखें 10 दिन बंद करके ही अल्सर का ऑपरेशन होता था। इसमें डॉग को दवा भी देनी पड़ती थी।
  • नई तकनीक के बाद डॉग को किसी तरह की दवाइयों की जरूरत नहीं होगी।

इस वजह से होता है कॉर्नियल अल्सर
वेटरनरी डॉक्टरों के मुताबिक, डॉग्स के ज्यादा गंदगी और धूल में रहने से कॉर्नियल अल्सर होता है। नार्मल अल्सर को दवाओं से ठीक किया जा सकता है, पर बीमारी अधिक हो जाने पर ऑपरेशन ही आखिरी विकल्प बचता है। इसकी वजह से डॉग को दिखना बंद हो जाता है। अधिकतर ये बीमारी अधिक उम्र में होती है।

यंग संर्जन का दो बार मिल चुका है पुरस्कार
वेटरनरी कुलपति डॉ. एसपी तिवारी के मुताबिक, इस तकनीक में डॉ. अपूर्वा मिश्रा को इंडियन ऑफ वेटरनरी सर्जरी सोसायटी द्वारा यंग सर्जन का दो बार पुरस्कार मिल चुका है। यह तकनीकी अन्य राज्यों के वेटरनरी डॉक्टरों से साझा करने के लिए बात चल रही है। अब तक वेटरनरी में 50 डॉग के सफल ऑपरेशन किए जा चुके हैं।

साभार – Dainik Bhaskar