कड़कनाथ मुर्गे से होगी कड़क कमाई

प्रस्तुति – Agrim Tomar

कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Murga) का पालन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा देश के कई राज्यों में हो रहा है. पालन के लिए चूजों की मांग इतनी ज्यादा है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) समय पर चूजे उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं

कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath) मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का शान है. कड़कनाथ मुर्गे का मीट, हड्डिया और यहां तक की खून भी काला होता है. इसी वजह से कड़कनाथ को लोग काला मुर्गा भी कहते हैं. वहीं आदिवासी इलाके में यह कालीमासी के नाम से मशहूर है. औषधीय और पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के कारण कड़कनाथ की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.

अब इसका पालन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा देश के कई राज्यों में हो रहा है. पालन के लिए चूजों की मांग इतनी ज्यादा है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) समय पर चूजे उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. इसके सेवन से शरीर को काफी पोषक तत्व मिलते हैं. इसमें वसा यानी फैट काफी कम होता है जबकि प्रोटिन की मात्रा अधिक रहती है.

कड़कनाथ का बढ़ता जा रहा व्यवसाय

इसके अलावा कड़कनाथ मुर्गे में भरपूर मात्रा में लौह तत्व, कैल्शियम, विटामिन बी और विटामिन सी भी पाया जाता है. देश ही नहीं विदेश में भी कड़कनाथ मुर्गे की मांग बढ़ रही है. खाड़ी देशों में इसे काफी पसंद किया जा रहा है. बेहतर कमाई का जरिया होने के कारण कड़कनाथ का व्यवसाय बढ़ता जा रहा है.

कड़कनाथ मुर्गे के पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी प्रयास कर रही है औत सरकार की तरफ से इसके लिए मदद भी दी जाती है. कड़कनाथ मुर्गे का पालन करना चाहते हैं तो कृषि विज्ञान केंद्र से चूजे ले सकते हैं. कुछ किसान 15 दिन का चूजा ले जाते हैं जबकि कुछ लोग एक दिन का चूजा ले जाते हैं. कड़कनाथ का चूजा साढ़े तीन से चार माह के अंदर बिक्री के लिए तैयार हो जाता है.

90 के दशक में कड़कनाथ प्रजाति विलुप्ति के कगार पर थी. बाद में वैज्ञानिकों की मदद से इस प्रजाति को नया जीवन मिला. स्थिति यह है कि कड़कनाथ के चूजे की मांग समय पर पूरी नहीं हो पा रही है. पूरे देश में इसकी लोकप्रियता बढ़ गई है और हर जगह से इसके पालन के लिए चूजों की मांग हो रही है.

हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद इस मुर्गे का मांस, एक अंडा 60 रुपये तक

कड़कनाथ मुर्गे का मांस प्रोटीन से भरपूर होता है। अन्य मुर्गों के मुकाबले इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है। इस मुर्गे में अमीनो एसिड भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। खास बात यह है कि कड़कनाथ मुर्गे के मांस में बेहद कम कोलेस्ट्रोल होता है, जो हृदय रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। कड़कनाथ मुर्गे का मांस बाजार में 800 से एक हजार रुपये तक प्रति किलो होता है। इसका अंडा भी 30 से 60 रुपये तक बिकता है

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार कड़कनाथ पालन में करती है मदद

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार कड़कनाथ मुर्गा पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. वहीं टीकाकरण और स्वास्थ्य की दूसरी देखभाल की जिम्मेदारी भी सरकार उठाती है. इनता ही नहीं, मुर्गों के बड़े हो जाने पर मार्केटिंग के काम भी सरकार ही करती है.

वहीं मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां पर सरकार की ओर से अंडे सेने के लिए हैचर मशीन मुफ्त में दी जाती है. साथ ही प्रशिक्षण का इंतजाम भी किया जाता है. कड़कनाथ का जीआई टैग प्राप्त करने के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ आमने सामने थे. अंतत: मध्य प्रदेश को कड़कनाथ का जीआई टैग प्राप्त हुआ.

कड़कनाथ मुर्गे के साथ एक समस्या यह है कि इसकी उत्पादकता कम है. सामान्य मुर्गा 40 से 50 दिन में बड़ा हो जाता है लेकिन कड़कनाथ को 105 से 120 तक लगते हैं. लेकिन सामान्य मुर्गों के मुकाबले इसकी कीमत ज्यादा मिलती है, जिससे मुर्गा पालक उत्पादकता में कमी की भरपाई कर लेते हैं.

(साभारस्रोत- डीडी किसान, TV9 Hindi)