दूध मे मिलावटी तत्व व उनके दुष्प्रभाव

प्रस्तुति – डा मानसी

पशु जन स्वास्थ्य एवं जानपादिक विभाग़ पशु पालन महाविद्धालय
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्धोगिक विश्वविद्धालय
पंतनगर

दूध में अनेक प्रकार के उपयोगी तत्व पाये जाते है जिसमें कैल्शियम एवं प्रोटीन मुख्य है। इसी कारण बच्चों व बड़ों को नियमित दूध के सेवन की सलाह दी जाती है। हम में से प्रत्येक मनुष्य दूध या दूध से बने पदार्थ जैसे दूध, दही़, पनीर , मक्खन आदि का सेवन करता है । एक अध्ययन के अनुसार 250 मि0ली0 शुद्ध दूध हमारे शरीर को 146 किलो कैलोरी ऊर्जा, 8 ग्राम वसा और 257 मि0ग्रा0 कैल्शियम प्रदान करता है। पर यही दूध अगर शुद्ध न हो या मिलावटी हो, तब वह कम गुणवत्ता का तो होता ही है साथ ही मनुष्य के शरीर को नुकसान भी पहुॅंचाता हैे । अतः स्वच्छ दूध उत्पादन अति महत्वपूर्ण है। कुछ बातों का विशेष ख्याल रख कर हम स्वच्छ दूध उत्पादित कर सकते हैं जैसे दुधारू पशु का स्वस्थ एवं साफ होना, पशुओं के बांधने के स्थान के आस – पास के वातावरण की नियमित सफाई जिससे मिट्टी, गोबर आदि एकत्र्रित न होने पाए। दूध इकटृठा करने वाला पा़त्र साफ एवं सूखा होना चाहिए व दूध दुहने वाला व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित न हो इस बात का ध्यान रखना अति आवश्यक है । उदाहरण के तौर पर वर्ष 2008 में चीन मे मिलावटी दूध पीने से बच्चों के वृक्क में पथरी या वृक्क क्षति के मामले सामने आए। इसका कारण दूध मेें मैलामाइन की मिलावट का पाया जाना था । दूधिये अक्सर दूध का अधिक मूल्य पाने के लिए उसमें अनेक प्रकार की मिलावट करते है। अध्ययन बताते हैं कि हमारे देश के कुछ शहरों जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि में पचास प्रतिशत से ज्यादा दूध मिलावटी पाया जाता है। मिलावटी दूध के दुष्परिणाम लंबे अंतराल के उपरांत ही दिखाई देते हैं । गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं में यह विशेष हानि पहुचाता है । हृदय रोगी अथवा उच्च रक्तचाप के मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए । दूध के सिथेटिक होने के भी कई मामले सामने आए हैं । आइए जानेें कि दूध में मिलाए जाने वाले तत्व कौन – कौन से हैं तथा यह हमारे शरीर में क्या – क्या नुकसान कर सकते है।
साधारणतः हम मिलावटी तत्वों को तीन श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं ।

  1. गाढ़ा करने वाले तत्व : यह दूध में फैट/ सलिड नाट फैट ( एस. एन. एफ ) की मात्रा में फेरबदल कर लैक्टोमीटर रीडिंग को प्रभावित करता है । इनका उपयेाग पा्रयः अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए किया जाता है जैसे स्टार्च।

2. न्यूट्रलाइर्जस : यह दूध की अम्लता को सामान्य करने में सहायक होते हैं । जैसे सोडियम कार्बोनेट।

3. संरक्षक : इनका उपयोग दूध को लंबे समय तक खराब न होने के लिए किया जाता है परंतु आवश्यकता से अधिक मात्रा हानिकारक सिद्ध होता है। जैसे हाइड्रोजन परअक्साइड।

4. पानी : प्राचीन काल से पानी का उपयोग दूध के एक मिलावटी तत्व के रूप में किया जाता रहा है। यह दूध की मात्रा बढ़ाने तथा इस प्रकार दूधिये को अधिक मूल्य प्राप्त करने में सहायक है। पानी की मिलावट दूध की गुणवत्ता को कम कर देती है़ वहीं गंदा पानी मिलाने से मनुष्य में अनेकों बीमारी के फैलने की आशंका बढ़ जाती है। गंदा एवं दूषित पानी हमारे शरीर में अनेक बीमारिया फैलाता है जैसे ई-कोलाई इन्फैक्शन, टाइफाइड फीवर, कौलरा़, लैप्टोस्पाइरोसिस आदि ।

5. स्टार्च : स्टार्च का प्रयोग दूध में शर्करा की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह पानी की मिलावट को छुपाने का भी तरीका है। स्टार्च की मिलावट से दूध की गुणवत्ता कम हो जाती हैं तथा यह मनुष्य की पाचन प्रणाली पर असर डालती है। इसकी मिलावट से अनुमानित ऊर्जा से अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। अतः इस प्रकार की मिलावट वाला दूध पीने से मोटापा एवं मोटापा जनित रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

6. डिटर्जेंट : डिटर्जेंट की मिलावट फैट वैल्यू बढ़ाने में सहायक होती है। यह मनुष्य की पाचन तंत्र व पाचन प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। चूंकि डिटर्जेंट क्षारीय होता है इसलिए यह मानव शरीर के ऊतकों के लिए हानिकारक सिद्ध होता है। क्षारीयता के कारण अनेक प्रकार की बीमारियाॅं होती हैं। इसी क्षारीयता के कारण उक्त दूध से पनीर इत्यादि भी नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि ऐसा दूध फटता नहीं है।

7. यूरिया : यूरिया की मिलावट का प्रयोग अप्राकृतिक दूध (Synthetic Milk) के उत्पादन में किया जाता है। इसकी मिलावट से दूध में नत्रजन की मात्रा बढ़ जाती है। यह पाचन तंत्र एवं पाचन क्रिया को हानि पहुंचाता है। इसके कारण दूध पीने वाले को उल्टी, जी मिचलाना, आंत्र शोथ आदि का प्रकोप हो जाता है। विशेषतः वृक्क पर इसके दुष्प्रभाव की आशंका भी रहती है।

8. शुगर /ग्लूकोज अथवा नमक : इसकी मिलावट से दूध गाढ़ा हो जाता है तथा लैक्टोमीटर रीडिंग प्रभावित होती है। यह पानी की मिलावट को ढक कर दूध की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इसलिए अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की मिलावट करते हैं।

9. फार्मलीन : यह दूध की आयु बढ़ाकर दूध को लम्बे समय तक खराब होने से बचाता है लेकिन यह वृक्क को नुकसान पहुंचाता है। फार्मलीन मिलाने से मनुष्य के अनेक अंग खराब हो जाते हैं तथा यह आंतो एवं पाचन क्रिया पर दुष्प्रभाव डालता है।

10. सोडा (सोडियम कार्बोनेट) : यह दूध को जल्दी खराब होने से बचाता है। सोडियम की मात्रा अधिक होने से दूध पीने वाले का रक्त दबाव ;ठसववक च्तमेेनतमद्ध बढ़ जाता है इसलिए यह दिल की बीमारी वाले लोगों लिए हानिकारक है। बच्चों में खाने वाली नली की परत को नुक्सान पहुंचाता है जिससे बच्चों में अपच हो जाता है और वो बीमार हो जाते हैं।

इसके अलावा हाइड्रोजन परअक्साइड, हड्डी का चूर्ण, तेल तथा चर्बी (वसा) भी मिलावटी तत्वों की गिनती में आते हैं।

अतः हम दूध में मिलावट के प्रति जागरूक एवं सावधान रहें। दूषित दूध से बचाव करके ही हम इसके दुष्प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं । हमें चाहिए कि हम उच्चतम गुणवत्ता वाला दूध ही प्रयोग करें । दूध हम जांची परखी दुकान से ही खरीदें जहां दूध की गुणवत्ता की समय – समय पर जाॅच हो अथवा जाॅच की जाती हो । हमें अपने आस – पास के लोगों को भी जागरुक करना चाहिए । स्वच्छ एवं शुद्ध दूध मनुष्य को बहुत सारी बीमारियों एवं तकलीफों से दूर रख सकता है।