बहुत उपयोगी है गधे का दूध

प्रस्तुति – डॉ निशांत शर्मा

पशुचिकित्सक, उत्तराखण्ड पशुपालन विभाग

पशुपालन से हमें कई लाभ है। पशुओं से मिलने वाले उत्पाद जैसे दूध, मांस, अंडा, मछली, ऊन इत्यादि का उपयोग कर पशुपालक अपनी आजीविका बढ़ा सकता है। दूध उनमे से मिलने वाला प्रमुख उत्पाद है। प्रायः दूध हमें गाय, भैस, बकरी, याक, ऊँट जैसे पशुओं से प्राप्त होता है। परन्तु कुछ अन्य पशु है जिन से हमें दुग्ध प्राप्त होता है जैसे गधा।

गधे को हम प्रायः वजन ढोहने वाले पशु के रूप मे जाना जाता है परन्तु गधे से मिलने वाले दूध के अपने कुछ विशिष्ट लाभ है । तथापि गधे का दुग्ध उत्पादन कम होता है परन्तु दूध का मूल्य प्रति लीटर ५०००-८००० रूपए तक होता है। वर्ष २०१९ की गणना के अनुसार भारत मे लगभग १.२ लाख गधे है जिसमे २०१२ की गणना से लगभग ६१ः की गिरावट देखी गयी है। यूरोपीय देशों मे विशेषतः इटली जैसे देश मे गदर्भ पालन बड़े स्तर पर किया जाता है जहाँ गदर्भ पालन का विश्व मे सबसे बड़ी डेरी (८०० पशुओं की) है और सौंदर्य उत्पादों मे गदर्भ दुग्ध की मांग को पूर्ण करता है।

गधे के दूध का प्राचीनतम उपयोग सौंदर्य उत्पादों मे देखा गया है। ऐसा कहा जाता है की मिश्र की राजकुमारी क्लिओपेट्रा भी सुंदरता के लिए गधे का दूध से स्नान करती थी। आयुर्वेद के अनुसार गधे के दूध का उपयोग विभिन्न बिमारियों के उपचार मे किया जाता है।

गदर्भ के दुग्ध की संरचना एवं कारक


गदर्भ के अयनों का आकर छोटा होता है जिसके कारण गधे के दुग्ध उत्पादन ०.५-२.३ लीटर प्रति दिन तक हो सकता है। प्रायः मादा गधे का दिन मे तीन बार दूध निकला जाता है। गधे का दूध प्रोटीन, लैक्टोस (मिल्क सुगर), मिनरल तथा आवश्यक एमिनो एसिड की मात्रा के आधार पर मानव दुग्ध के समान पाया गया है।

गदर्भ दूधगाय दूधमानव दूध
प्रोटीन1.5-1.83-3.50.8-1.6
लैक्टोस (मिल्क सुगर)5.8-7.44.5-5.05.9-7.2
वषा0.3-1.53.5-4.23.0-4.0
अमीनो एसिड36-39 प्रोटीन का40.2 प्रोटीन का

अतः गधे के दूध का उपयोग बच्चों के लिए बनाये जाने वाले भोजन को बनाने मे किया जाता है। गदर्भ के दुग्ध मे प्रोटीन, लैक्टोस, वषा की मात्रा क्रमशः १.५- १.८, ५.८-७.४, ०.३-१.५ पायी जाती है। यह विटामिन ई, अमीनो एसिड, विटामिन ए, बी 1, बी 6, सी, डी, ई, ओमेगा 3 और 6 से भरपूर है। इसमें कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है और गाय के दूध की तुलना में चार गुना कम फैट होती है। इन सभी पोषक तत्वों को जोड़ने के लिए, इसके युवा रखने वाले गुण यानी कि रेटिनॉल भी पाया जाता है। ये गुण कॉस्मेटिक उत्पादों में इसे एक बहुत ही विशेष घटक बनाते है। वहीं इसके कई अन्य फायदे भी हैं। गदर्भ के दूध की इन विशेषताओं के कारण ही उसके निम्नलिखित उपयोग होते है |

गधे के दुग्ध की उपयोगिता

  1. वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है की गदर्भ का दुग्ध एलर्जी, एक्जिमा, साँस से सम्बंधित विकारों, सौंदर्य प्रसाधनों, मस्तिष्क रोग तथा स्त्री रोगों इत्यादि मे प्रयुक्त किया जारहा है। शिशुओं के भोजन को बनाने, साबुन तथा मॉइस्चरेरीजेर इत्यादि के बनाने मे प्रयुक्त होता है।
  2. त्वचा के लिए- गधे के दुग्ध मे पाए जाने वाले मिनरल्स विटामिन्स तथा अन्य पोषक तत्व इसको त्वचा सम्बंधित सौंदर्य उत्पादों मे प्रयोग के लिए उपयोगी बनाते है। गदर्भ की दूध से बने साबुन और मॉइस्चराइजर, त्वचा को चमक देता है, रंग को निखारे, उज्ज्वल और सुंदर त्वचा देता है, बढ़ती उम्र के परिणाम कम करता है, प्राकृतिक त्वचा मृदुकारी, कोमल, स्वस्थ और चमकदार त्वचा प्रदान करता है।
  3. तीन वर्ष से काम आयु के बच्चों में मिलने वाली दुग्ध एलर्जी (ब्डच्।) तथा अन्य खाद्य पदार्थो की एलर्जी से बचने के लिए गधर्व के दुग्ध का उपयोग किया जाता है। विभिन्न शोध से पता चला है की गदर्भ के दुग्ध में एंटी एलर्जिक तत्व पाए जाते है जो की शिशुओं मे मिलने वाली दुग्ध एलर्जी, एग्जिमा आदि मे कारगर होता है।
  4. रोग प्रतिरोघक क्षमता बढ़ने मे भी गदर्भ के दुग्ध का उपयोग किया जाता है। मौसम में बदलाव के कारण बच्चों को सर्दी और जुखाम होना आम बात है। गधी में भरपूर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं जो प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में मददगार हैं। इस दूध में कई तरह के लाभकारी जीवाणु मौजूद होते हैं जो खाना पचाने में सहायक है।
  5. गदर्भ के दुग्ध मे लैक्टोस (मिल्क सुगर) की प्रचुर मात्रा होती है जिस कारण इस दुग्ध का उपयोग फर्मेन्टेड दुग्ध उत्पाद जैसे कुमिस, पुले चीज इत्यादि को बनाने मे किया जाता है। पुले चीज विश्व मे सबसे महंगे बिकने वाले चीज मे से एक है।
    गधे के दुग्ध की इन विशेताओं को देखते हुए अश्व राष्ट्रीय अनुसन्धान केंद्र, हिसार द्वारा भारत मे गधे के दुग्ध को बढ़ावा तथा अन्य उपयोग को जानने के लिए गुजरात प्रान्त से लायी गयी गधों की हलारी प्रजाति की डेरी खोली गयी है। भारत मे गधे के दुग्ध का व्यवसाय भारत के कुछ प्रान्त राजस्थान,आँध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्णाटक, केरल तथा अन्य तटीय राज्यों मे छोटे स्तर पर किया जा रहा है। भारत में केरल की एक पशुपालक द्वारा गदर्भ पालन की डेरी व्यावसायिक स्तर पर खोली गयी है, तथा उससे मिलने वाले लाभ की कारण सफलता की ओर अग्रसारित है।
    गदर्भ पालन से प्राप्त उत्पाद मात्रा काफी काम है तथा इसकी उपयोगिता के अन्य शोध जारी है, परन्तु उत्पादों की मांग तथा ऊँची कीमत के कारण कहा जा सकता है की गदर्भ पालन मे आजीविका की प्रचुर सम्भावनाओ है। निकट भविष्य मे गदर्भ पालन के व्यवसाय को बढ़ाया जा सकता है।